जैविक खेती देश और दुनिया की जरूरतः डॉ.रमन
जैविक खेती आज देश और दुनिया की जरूरत बन गई है। पैदावार बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्याधिक उपयोग के दुष्परिणाम अब सामने आने लगे है। समय आ गया है कि हम सचेत हो जाएं और जैविक खेती को अपनाने के लिए आगे बढ़ें। यह बातें मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने सोमवार को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के सभाकक्ष में दो दिवसीय जैविक छत्तीसगढ़ 2015 राष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शन का शुभारंभ करते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मिट्टी की गुणवत्ता को फिर से पाने के लिए जैविक खेती को अपनाना होगा। छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा अंचल के किसान जैविक खेती कर रहे हैं। इन क्षेत्रों के किसान मैदानी इलाकों के किसानों की तुलना में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की मात्र का पांच प्रतिशत ही उपयोग करते हैं। यहां प्राकृतिक खाद का उपयोग किया जाता है। इन इलाकों में दो-दो हजार एकड़ में किसान जैविक खेती कर रहे हैं। लोगों में यह भ्रम समाप्त करने की जरुरत है कि जैविक खेती से उत्पादन घटता है। जैविक खाद के उपयोग से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। गौ मूत्र यूरिया का अच्छा विकल्प हो सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन के माध्यम से छत्तीसगढ़ के कृषि क्षेत्र में एक नई शुरुआत होगी। सम्मेलन में शामिल हो रहे प्रगतिशील किसान परिवर्तन के अग्रदूत बनेंगे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उद्यानिकी विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तिका 'हार्टिकल्चर बून टू स्माल फार्मर' का विमोचन किया।
कृषि मंत्री श्री अग्रवाल ने कहा कि यदि हमें आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखना है, तो हमें जैविक खेती को अपनाना होगा। पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के पास औषधीय और सुगंधित पौधों की अनूठी संपदा है, जैविक खेती के माध्यम से इनके उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। अपर मुख्य सचिव और कृषि उत्पादन आयुक्त अजय सिंह ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में लगभग 4300 हेक्टेयर में जैविक खेती की जा रही है। लगभग बारह से तेरह हजार हेक्टेयर में जैविक खेती को अपनाने की तैयारी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने की। सम्मेलन का आयोजन में राज्य सरकार के कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, कृषि विश्वविद्यालय और जैविक कृषि आंदोलन से जुड़ी संस्था इंटरनेशनल कम्पटेंस सेंटर फॉर आर्गेनिंग एग्रीकल्चर (आईसीसीओए) द्वारा किया गया। सम्मेलन में संसदीय सचिव तोखन साहू, पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री, नेशनल सेंटर फॉर आर्गेनिक फार्मिंग के निदेशक डॉ. कृष्णचंद्र, कृषि उत्पादन आयुक्त अजय सिंह, कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एसके पाटिल विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
साभार नई दुनिया जागरण